मदिरा सवैया
मदिरा सवैया
आदर जो करता सब का, वह आदर निश्चित पावत है।
भाव नहीं जिसके उर में, वह आपन काम नशावत है।
भाव भरा जिसने दिल में, उसको हर मानव गावत है।
भावुक रूप सदा मनमोहक, भाव भरा मन भावत है।
काव्य रचो अति भावुक हो, सब के मन को बहलाय चलो।
शब्द निरन्तर मोहक हों, गतिमान सुछंद बनाय चलो।
गेय बने कविता -सरिता,मधु गायन से नहलाय चलो।
छंद विधान चुनो मनमाखन,भाव प्रधान बनाय चलो।
भाव नहीं समझा जिसने, वह दानव नीच अपावन है।
भाव अमूल्य सदा सत है,शिव सुंदर देव सुहावन है।
भाव स्वभाव धरे मधुवेश, विदेह पिता प्रिय कानन है।
वाक्य सुबोल कहे रसना, मनमाफिक प्रीति सुहागन है।
Renu
23-Jan-2023 04:59 PM
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